
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह गुरुवार को अलवर आए। यहां खुद के निवास फूल बाग में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि अलवर की इतनी दुर्दशा पहले कभी नहीं रही। सब व्यवस्था चौपट है। सफाईकर्मियों की हड़ताल के बाद तो अलवर में भयावह हाल हो गए। ऐसे बुरे हाल पहले कभी नहीं हुए। जबकि यहां तो बीजेपी की ट्रिपल इंजन की सरकार है। स्टेट, सेंटर व निगम का बोर्ड बीजेपी का है। अलवर के दो-दो नेता मंत्री भी हैं। फिर भी नगर निगम कमीशन बाजी व भ्रष्टाचार का अड्डा है। जनता के अनुसार काम नहीं होते हैं। यहां बड़ी धांधली होती है। इंदौर व भोपाल जैसा बनाने केवल बात करते हैं। लेकिन काम कुछ नहीं करते हैं।
धरातल पर कोई काम नहीं
जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंबल के पानी का लाने के लिए कांग्रेस सरकार ने बजट में घोषणा की थी। फिर डीपीआर पर काम शुरू कर दिया था। बीजेपी सरकार ने आते ही उस योजना को बंद कर दूसरी योजना लेकर आ गए। अब उनके स्तर पर बड़ी बड़ी बातें कर करते हैं। लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं नजर आता है।
आगे पंचायत व निकाय चुनाव को लेकर कहा कि हम सब बैठकर चर्चा करने वाले हैं। अभी से हम चुनाव में प्रत्याशी को चिह्नित करने का काम करेंगे। अलवर जिला प्रमुख के अविश्ववास के प्रस्ताव के मामले में कहा कि अब राज का डर दिखाया गया है। यह उनका राजनीति का नया मॉडल है। जबकि पार्षद जिस नेता को नहीं चाह रहे। उन पार्षदों को डरा धमका कर रोका गया। ऐसा ही ये राज्यों में करते रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री को काबिल बता काम कराने को कहा
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के बारे में कहा कि वे काबिल हैं। लेकिन उनको अलवर में समय देना चाहिए। केंद्र सरकार से पैसा लेकर आना चाहिए। उनका दायित्व बनता है कि बड़ी योजना लेकर आए। अलवर में वाल्मीकि समाज ही सफाई का असली काम करता है। कोविड के समय भी शवों का अंतिम संस्कार कराने में वाल्मीकि समाज आगे रहा। अब सफाईकर्मी भर्ती के मामले में वाल्मीकि समाज की जायज मांग है। उनकी मांग को पूरा करना चाहिए।
NCR से फायदा लेने वाला हो सिंह ने कहा कि NCR में होने का फायदा भी मिलता है। कई बड़ी योजनाएं एनसीआर में आ जाती है। जैसे पहले कांग्रेस के राज में RRTS की योजना को अलवर तक अप्रूव कराया। लेकिन बीजेपी की सरकार ने आकर रोक दिया। वरना अलवर को बड़ा लाभ होता। मतलब इच्छा शक्ति नही हो तो कुछ फायदा नहीं मिलता है। अलवर में तो तीन चुनाव में बाहर के लोग आए चुनाव जीतकर चले गए। जिनको अलवर की जगहों का ही पता नहीं होता है।