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    November 16, 2025

    रूस से कच्चा तेल आयात पर भारत का बड़ा खर्च: सिर्फ अक्टूबर में ढाई अरब यूरो दिए

    एक यूरोपीय थिंक टैंक ने दावा किया है कि अक्टूबर में भारत ने रूस से तेल खरीद पर 2.5 अरब यूरो खर्च किए। भारत, रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है। इससे पहले सितंबर में भी भारत ने लगभग उतनी ही राशि रूस से तेल खरीद पर खर्च की थी। यह साफ संकेत है कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूसी तेल आयात पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, नए प्रतिबंधों के बाद इस स्थिति में बदलाव देखने को मिल सकता है।

    भारत अब भी रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार

    यूरोपीय थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में भारत चीन के बाद रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा। हालांकि, 22 अक्टूबर को अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषण से रोकने के लिए रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों—Rosneft और Lukoil—पर कड़े प्रतिबंध लगाए।

    इन प्रतिबंधों के असर में रिलायंस इंडस्ट्रीज, HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) जैसी कंपनियों ने फिलहाल रूसी तेल का आयात रोक दिया है।

    नवंबर में असर और बढ़ सकता है

    रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने अकेले अक्टूबर में भारत को 6 करोड़ बैरल कच्चा तेल भेजा, जिसमें से करीब 4.5 करोड़ बैरल आपूर्ति Rosneft और Lukoil द्वारा की गई थी। CREA ने अपनी मासिक रिपोर्ट में बताया कि भारत ने अक्टूबर में कुल 3.1 अरब यूरो के रूसी जीवाश्म ईंधन का आयात किया। इसमें कच्चे तेल का हिस्सा 81% (2.5 अरब यूरो), कोयला 11% (3.5 करोड़ यूरो) और तेल उत्पाद 7% (2.2 करोड़ यूरो) रहा।

    2022 के बाद रूस से आयात में भारी बढ़ोतरी

    फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूसी तेल आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय बाजार में मांग घटने के कारण रूस ने अपने कच्चे तेल पर भारी छूट दी, जिसका लाभ उठाते हुए भारत ने बड़े पैमाने पर तेल खरीदा। वर्तमान में भारत अपनी कुल तेल जरूरत का लगभग 40% रूस से पूरा कर रहा है।

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