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    November 16, 2025

    इसरो अंतरिक्षयान उत्पादन तीन गुना बढ़ाएगा, इस वित्तीय वर्ष 7 और प्रक्षेपण की तैयारी

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस वित्तीय वर्ष में 7 और उपग्रह प्रक्षेपण करने की योजना बना रहा है। इसमें एक वाणिज्यिक संचार उपग्रह और कई पीएसएलवी व जीएसएलवी मिशन शामिल हैं। इसरो अध्यक्ष वी नारायणन ने एक इंटरव्यू में बताया कि संगठन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग क्षमता बढ़ाने की दिशा में तेजी से विस्तार कर रहा है।

    चंद्रयान-4 मिशन 2028 में लॉन्च

    नारायणन ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन को सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह मिशन भारत का अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण चंद्र अभियान होगा। चंद्रयान-4 के जरिए इसरो चंद्रमा से नमूने पृथ्वी पर वापस लाने का प्रयास करेगा। यदि सफल हुआ, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस उपलब्धि वाला चौथा देश बनेगा।

    लूपेक्स मिशन और उत्पादन क्षमता बढ़ाना

    इसरो का एक और प्रमुख मिशन लूपेक्स है, जो जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ संयुक्त अभियान है। इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ का अध्ययन करना है। इसरो अगले तीन वर्षों में अपने अंतरिक्षयान उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने पर भी काम कर रहा है ताकि बढ़ती मिशन मांग को पूरा किया जा सके।

    भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी

    नारायणन ने बताया कि इसरो ने भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन पर काम शुरू कर दिया है, जिसे 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य है। पांच मॉड्यूल में से पहला 2028 तक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इससे भारत दुनिया के तीसरे देश के रूप में अपना अंतरिक्ष स्टेशन संचालित करने वाला बनेगा।

    अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस

    इसरो प्रमुख ने कहा कि वर्तमान में भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी लगभग 2% है और इसे 2030 तक 8% तक बढ़ाने का लक्ष्य है। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगभग 8.2 अरब अमेरिकी डॉलर की है और 2033 तक यह 44 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

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