भारत में संक्रामक रोगों का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल के पहले छह महीनों में हर नौवां भारतीय किसी न किसी संक्रमण से प्रभावित पाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में संक्रामक रोगों की दर में भले मामूली, लेकिन अहम बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
संक्रमण दर में 0.8% की बढ़ोतरी
आईसीएमआर के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब्स (VRDL) ने जनवरी से जून 2025 के बीच 4.5 लाख से अधिक मरीजों के नमूनों की जांच की।
- जनवरी से मार्च के बीच 2,28,856 नमूनों में से 24,502 (10.7%) में रोगजनक मिले।
- अप्रैल से जून के बीच 2,26,095 नमूनों में से 26,055 (11.5%) पॉजिटिव पाए गए।
इस तरह संक्रमण दर में 0.8 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रवृत्ति संक्रमण के प्रसार पर सतर्क निगरानी की आवश्यकता को दर्शाती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हर तिमाही संक्रमण दर की बारीकी से निगरानी की जाए, तो भविष्य में महामारी जैसी स्थितियों को रोका जा सकता है।
ICMR का VRDL नेटवर्क देशभर में संक्रमण की निगरानी के लिए पहली चेतावनी प्रणाली के रूप में काम कर रहा है, जिसमें 100 से अधिक प्रयोगशालाएं शामिल हैं।
गर्मी और मानसून में बढ़ते हैं संक्रमण
एम्स, नई दिल्ली के डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान तापमान और नमी बढ़ने के कारण डेंगू, चिकनगुनिया, इंफ्लूएंजा और श्वसन संक्रमण जैसे रोग तेजी से फैलते हैं।
यह मौसम मच्छर जनित और वायरल रोगों के प्रसार को बढ़ावा देता है।
389 रोग समूहों की पहचान
रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल-जून 2025 के बीच 389 रोग समूहों की पहचान की गई। इनमें सबसे अधिक मामले खसरा, रूबेला, डेंगू, चिकनगुनिया, रोटा वायरस, नोरो वायरस, ह्यूमन हर्पिस वायरस और एस्ट्रोवायरस से जुड़े थे।
10 साल में 40 लाख नमूनों की जांच
आईसीएमआर ने बताया कि 2014 से 2024 के बीच 40 लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई, जिनमें 7.55 लाख रोगजनक पाए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन आंकड़ों से साफ है कि भारत में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी और स्वच्छता उपायों को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
