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    October 23, 2025

    AQI 300 पार! हर सांस में घुल रहा जहर, डॉक्टर बोले– अब खतरे की लाल रेखा पार

    जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार चला जाता है, तो हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में आ जाती है। यह स्तर सभी लोगों के लिए खतरनाक और विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों तथा पहले से बीमार व्यक्तियों के लिए जानलेवा हो सकता है।

    विशेषज्ञों के अनुसार, इतना अधिक AQI दर्शाता है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण PM2.5 और PM10 की सांद्रता बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। ये कण इतने महीन होते हैं कि साधारण मास्क को पार कर सीधे फेफड़ों में और वहां से रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस स्तर की हवा में सांस लेना एक दिन में कई सिगरेट पीने के बराबर नुकसानदायक हो सकता है।

    फेफड़ों पर सीधा असर

    AQI 300 से अधिक होने पर सबसे पहले फेफड़ों पर असर होता है। जहरीले कणों के कारण अस्थमा के मरीजों की स्थिति बिगड़ जाती है और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) तथा ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
    स्वस्थ लोगों में भी लगातार खांसी, गले में खराश, सीने में जकड़न और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

    दिल और रक्त संचार प्रणाली पर प्रभाव

    प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहना दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। PM2.5 के कण रक्त में सूजन पैदा करते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति खासतौर पर उन लोगों के लिए घातक हो सकती है जो पहले से हृदय रोग या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं।

    मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर असर

    प्रदूषण केवल फेफड़ों और दिल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, लंबे समय तक जहरीली हवा के संपर्क में रहने से संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive Function) कमजोर हो जाती है और डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ता है।
    कई मामलों में प्रदूषण अवसाद, चिड़चिड़ापन और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

    संवेदनशील लोगों के लिए चेतावनी

    AQI 300 से अधिक की श्रेणी बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए जीवन-घातक साबित हो सकती है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे संक्रमण और श्वसन रोगों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।

    विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसे हालात में बाहरी गतिविधियों को सीमित करें, घर के भीतर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और बाहर निकलते समय N95 मास्क का प्रयोग करें। साथ ही, पर्याप्त पानी पीने और पौष्टिक आहार लेने की भी सलाह दी जाती है ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।

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