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    December 30, 2025

    RPSC रिश्वत मामला: खोड़निया बोले कोई सिफारिश नहीं की, छवि खराब करने की साजिश

    पेपर लीक प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ के दौरान बाबूलाल कटारा ने दावा किया है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का सदस्य बनने के लिए डूंगरपुर जिले के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोड़निया से 1 करोड़ 20 लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। कटारा के अनुसार, इस सौदे के तहत खोड़निया के सहयोगी अशोक जैन को 40 लाख रुपये दिए गए थे।

    इस खुलासे के बाद दिनेश खोड़निया ने एक वीडियो जारी कर बाबूलाल कटारा से किसी भी तरह के संबंध और RPSC सदस्य बनाने की सिफारिश से साफ इनकार किया है। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है।

    खोड़निया ने कहा कि पेपर लीक मामले में जब पहली बार कटारा के माध्यम से उनका नाम सामने आया था, तब ED ने उनके घर और संस्थानों पर छापे मारे थे और उनसे कई दौर की पूछताछ हुई थी। करीब ढाई साल चली जांच के बाद ED ने उन्हें क्लीन चिट दी। इसके साथ ही भारत सरकार की ट्रिब्यूनल कोर्ट ने भी उन्हें बाइज्जत बरी किया और उनके घर से जब्त किए गए 24 लाख रुपये रिलीज कर दिए गए।

    उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले में ED या किसी अन्य विभाग के पास उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। खोड़निया ने दोहराया कि न तो उनका बाबूलाल कटारा से कोई रिश्ता है और न ही उन्होंने कभी RPSC सदस्य बनाने की कोई सिफारिश की। उन्होंने कहा कि वे पहले भी जांच में सहयोग कर चुके हैं और आगे भी किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।

    ED पूछताछ में कटारा के बयान

    ED की पूछताछ में बाबूलाल कटारा ने स्वीकार किया कि RPSC में रहते हुए RAS, कृषि अधिकारी और कॉलेज लेक्चरर भर्ती के इंटरव्यू के दौरान अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ देने के बदले 40 लाख रुपये मिले थे। हालांकि, अभ्यर्थियों से कुल कितनी राशि ली गई, इसकी स्पष्ट जानकारी उन्होंने नहीं होने की बात कही।

    कटारा ने यह भी बताया कि इंटरव्यू में अनुचित लाभ के लिए कई लोग उनसे संपर्क करते थे, लेकिन कोई भी अभ्यर्थी सीधे उनके संपर्क में नहीं था। संपर्क जानकारों के माध्यम से होता था और इसके बदले नकद राशि ली जाती थी।

    सिफारिशों को लेकर कटारा का दावा

    ED के सवालों के जवाब में कटारा ने दावा किया कि दिनेश खोड़निया ने उनसे RPSC सदस्य बनने की इच्छा पूछी थी और सहमति मिलने पर वित्तीय लाभ देने की बात कही थी। कटारा के अनुसार, सदस्य बनने के बाद पूरे छह साल के कार्यकाल में हर साल 20 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया गया था।

    कटारा ने यह भी कहा कि उस समय डूंगरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोड़निया की अगुआई में कुछ विधायकों और नेताओं ने मुख्यमंत्री को RPSC सदस्य बनाने की सिफारिश की थी। हालांकि, कटारा का दावा है कि किसी भी विधायक या नेता ने उनसे कोई राशि या लाभ नहीं लिया।

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