
दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की मौत से जुड़े विवाद में अब एक नया मोड़ आया गया है. हरियाणा पुलिस ने मृतक अधिकारी की पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार, उनके भाई और पंजाब के विधायक अमित रतन और दो अन्य के खिलाफ एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया है.
मालूम हो कि हरियाणा के रोहतक में तैनात एएसआई लाठर मंगलवार (14 अक्टूबर) को गोली लगने से मृत पाए गए थे. उनके पास एक कथित सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें दिवंगत आईपीएस अधिकारी और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है.
लाठर ने आगे दावा किया कि दिवंगत आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार को भ्रष्ट आचरण के उजागर होने के बाद से बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा था.
लाठर पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार की गिरफ्तारी का ज़िक्र कर रहे थे, जिसे रोहतक के एक व्यापारी से कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सुशील कुमार ने पूरन कुमार की ओर से पैसे लेने की बात कबूल की थी.
इसके अलावा, लाठर ने अपने कथित वीडियो में दावा किया था कि पूरन कुमार ने जांच के डर से आत्महत्या की, न कि किसी सामाजिक पूर्वाग्रह या जातिगत भेदभाव के कारण, जैसा कि उन्होंने अपने सुसाइड नोट में दावा किया था.
वीडियो में लाठर को यह कहते हुए भी सुना गया कि ‘देश को जगाने के लिए किसी को अपनी जान देनी पड़ती है,’ और साथ ही उन्होंने राज्य के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारनिया की ईमानदार अधिकारियों के रूप में प्रशंसा की.
इसके उलट, दिवंगत पूरन कुमार की पत्नी का कहना है कि कपूर और बिजारनिया की साजिश ही उनके पति की आत्महत्या के पीछे की वजह थी और वह उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं.
उल्लेखनीय है कि पूरन कुमार का अंतिम संस्कार बुधवार (15 अक्टूबर) को किया गया. मृतक आईपीएस अधिकारी के पोस्टमार्टम को लेकर परिवार और पुलिस अधिकारियों के बीच करीब एक हफ्ते तक खींचतान देखने को मिली.
इस संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा 9 अक्टूबर को राज्य के डीजीपी कपूर को लंबी छुट्टी पर भेजने और रोहतक के एसपी बिजारनिया का तबादला करने के बाद आखिरकार परिवार ने नरमी दिखाई.
एएसआई आत्महत्या मामला
एएसआई आत्महत्या मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. एएसआई के परिवार ने मृतक अधिकारी के पोस्टमार्टम की अनुमति तब तक नहीं दी जब तक पुलिस ने उनके सुसाइड नोट में दर्ज सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर लिया.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा बुधवार (15 अक्टूबर) दोपहर 41 वर्षीय लाठर के परिवार से मुलाकात और उन्हें ‘उचित कार्रवाई’ का आश्वासन देने के बाद परिवार ने नरमी दिखाई और पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गया.
विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी लाठर के घर जाकर संवेदना व्यक्त की.
बाद में शाम को लाठर के चचेरे भाई संजय देसवाल ने मीडिया को बताया कि राज्य सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं, जिनमें एफआईआर दर्ज करना, लाठर की पत्नी को उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी देना और समयबद्ध तरीके से निष्पक्ष जांच शामिल है.
इसके बाद लाठर का शव रोहतक स्थित स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआईएमएस) भेज दिया गया और गुरुवार (16 अक्टूबर) सुबह पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया गया.
परिवार चुप, आप मंत्री ने बताया साजिश
इस बीच अमनीत कुमार या उनके विधायक भाई की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है. अमनीत कुमार द्वारा सिर्फ़ इतना कहा गया कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया और पुलिस जांच पर पूरा भरोसा है और वह निष्पक्ष जांच चाहती हैं.
एएसआई लाठर की मौत पर टिप्पणी करते हुए पंजाब के वित्त मंत्री और आप नेता हरपाल चीमा ने कहा कि ‘जब उनका दुश्मन मर चुका था, तो उन्हें आत्महत्या करने की क्या ज़रूरत थी?’
चंडीगढ़ में गवर्नर हाउस के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए चीमा ने आरोप लगाया कि हो सकता है कि उनकी हत्या किसी एजेंसी या व्यक्ति ने की हो. चीमा ने कहा कि पुलिसकर्मी अपने दूसरे अधिकारियों, एक डीजीपी, एक एसपी और भाजपा सरकार को बचाने के लिए कोई भी साजिश रच सकते हैं या देशद्रोह का काम कर सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. एक उच्च पदस्थ एजेंसी को इसकी जांच करनी चाहिए. चीमा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि जांच की निगरानी देश के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए.’