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    November 04, 2025

    डिजिटल इंडिया के साथ डिजिटल सेफ्टी भी जरूरी, महिला आयोग ने केंद्र को दी सिफारिशें

    राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भारत के साइबर कानूनों की व्यापक समीक्षा की मांग की है, ताकि महिलाओं की डिजिटल सुरक्षा, गोपनीयता और ऑनलाइन जवाबदेही को मजबूत किया जा सके। आयोग ने अपनी ‘कानूनी समीक्षा हेतु अनुशंसात्मक रिपोर्ट 2024-25’ में सरकार से ऐसे प्रभावी और सशक्त कानूनों की जरूरत बताई है जो न केवल अपराधियों को दंडित करें बल्कि महिलाओं की गरिमा और डिजिटल स्वतंत्रता की भी रक्षा करें।

    यह रिपोर्ट कानून एवं न्याय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, महिला एवं बाल विकास, और गृह मंत्रालय को सौंपी गई है। रिपोर्ट का उद्देश्य भारत की साइबर कानूनी संरचना को लैंगिक दृष्टिकोण से पुनर्गठित करना है। इसके लिए वर्षभर देशभर में आठ क्षेत्रीय और दो राष्ट्रीय परामर्श बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें न्यायविदों, तकनीकी विशेषज्ञों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों और सिविल सोसायटी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

    आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने कहा कि डिजिटल दुनिया ने महिलाओं को सीखने, रोजगार और अभिव्यक्ति के नए अवसर दिए हैं, लेकिन साथ ही यह साइबर उत्पीड़न और ऑनलाइन अपराधों का केंद्र भी बन गई है। उन्होंने कहा कि कानून केवल दंडात्मक न हों, बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास और गरिमा की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

    रिपोर्ट में 200 से अधिक ठोस सुझाव शामिल हैं। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2002, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 में संशोधन की सिफारिश की गई है। आयोग ने ऑनलाइन उत्पीड़न पर कड़ी सजा, पीड़ित मुआवजा फंड, डेटा सुरक्षा, और गैर-सहमति वाले कंटेंट को तुरंत हटाने की व्यवस्था पर जोर दिया है।

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