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    October 18, 2025

    लंबे समय तक ईयरफोन लगाने से बढ़ सकता है बहरेपन का खतरा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

    आज की डिजिटल दुनिया में ईयरफोन या हेडफोन हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। संगीत सुनना हो, पॉडकास्ट या ऑनलाइन मीटिंग, ईयरफोन का इस्तेमाल अब सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि जरूरत बन गया है। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि लंबे समय तक और तेज आवाज में ईयरफोन का इस्तेमाल नॉइस इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस (NIHL) यानी कानों की सुनने की क्षमता पर गंभीर असर डाल सकता है।

    ईयरफोन सीधे कान के पर्दे के पास ध्वनि तरंगें भेजते हैं, जिससे कान की संवेदनशील कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। ये कोशिकाएं एक बार खराब होने के बाद ठीक नहीं होतीं, जिससे स्थायी बहरापन या कान में घंटियों की आवाज (टिनिटस) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह अब किसी विशेष उम्र तक सीमित नहीं, बल्कि युवा भी इस जोखिम में हैं।

    विशेषज्ञ 60/60 नियम अपनाने की सलाह देते हैं:

    • अधिकतम आवाज़ का 60% इस्तेमाल करें।
    • लगातार 60 मिनट से ज्यादा ईयरफोन न लगाएं।
    • 60 मिनट के बाद कम से कम 5-10 मिनट का ब्रेक दें।
    • दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा ईयरफोन का उपयोग न करें।
    • 85 डेसिबल से ऊपर की आवाज कानों के लिए हानिकारक है।

    कान के अंदर कॉक्लिया नामक संरचना होती है, जिसमें बाल जैसी संवेदनशील कोशिकाएं ध्वनि को तंत्रिका संकेत में बदलकर दिमाग तक भेजती हैं। लगातार तेज आवाज़ आने से ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है।

    शुरुआती लक्षण:

    • कान में घंटी बजना या सनसनाहट की आवाज (टिनिटस)
    • सामान्य बातचीत सुनने में कठिनाई
    • लोगों को बार-बार अपनी बात दोहराने के लिए कहना

    बचाव के उपाय:

    • ओवर-द-ईयर हेडफोन का इस्तेमाल करें, जो कान से दूरी बनाए रखता है।
    • नॉइज कैंसिलिंग हेडफोन से बाहरी शोर कम करें, ताकि आवाज तेज न करनी पड़े।
    • आवाज कम रखें और नियमित ब्रेक लें।

    सुरक्षित आदतें अपनाकर आप सुनने की क्षमता को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं और स्थायी नुकसान से बच सकते हैं।

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