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    October 26, 2025

    SBI ने RBI की रिपोर्ट की नकल कर बनाई रिपोर्ट, संस्थाओं में उठा विवाद

    एक अभूतपूर्व घटना में रिजर्व बैंक (RBI) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से भिड़ंत की। विवाद का कारण आर्थिक रिसर्च रिपोर्ट में डेटा नकल का आरोप बताया गया है।

    RBI ने लगाए गंभीर आरोप

    RBI के मौद्रिक नीति विभाग के असिस्टेंट जनरल मैनेजर सार्थक गुलाटी ने लिंक्डइन पर साझा पोस्ट में दावा किया कि SBI की रिसर्च टीम ने Ecowrap रिपोर्ट के लिए RBI की मौद्रिक नीति रिपोर्ट (MPR) से बिना अनुमति डेटा लिया। उन्होंने लिखा,
    "वित्तीय और आर्थिक पेशेवर होने के नाते हम मौलिकता पर निर्भर होते हैं, लेकिन ये बेहद चिंताजनक है कि SBI की हालिया Ecowrap रिपोर्ट का डेटा RBI की मौद्रिक नीति रिपोर्ट से जैसा का तैसा नकल कर लिया गया और इसकी इजाजत नहीं ली गई।"

    SBI ने आरोपों को खारिज किया

    स्टेट बैंक के अर्थशास्त्री तापस परीदा ने लिंक्डइन पर ही इस आरोप का खारिज़ किया। हालांकि अब तक RBI और SBI की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

    मौद्रिक नीति रिपोर्ट और आर्थिक डेटा

    RBI कानून के तहत मौद्रिक नीति रिपोर्ट हर छह महीने में प्रकाशित होती है। इसमें महंगाई के कारण और अगले 6-18 महीनों की भविष्यवाणी दी जाती है। सार्थक गुलाटी ने कहा कि इस तरह की नकल न केवल पाठकों को गुमराह करेगी बल्कि आर्थिक रिसर्च के स्टैंडर्ड को भी नुकसान पहुँचाएगी।

    इस विवाद ने दो प्रमुख आर्थिक संस्थानों के पेशेवर संबंधों में असहजता पैदा कर दी है और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

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