अलवर शहर से करीब 16 किमी दूर सिंचाई विभाग की जमीन पर ( सिलीसेढ़ एरिया) कैचमेंट एरिया (डूब क्षेत्र) में बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो गईं। होटल और रेस्टोरेंट खोलकर लोग मोटी कमाई करने लगे और इसके जिम्मेदार कलेक्टर-एसडीएम सिंचाई विभाग के साथ रिव्यू मीटिंग करते रह गए। मौके पर अगर समय से सख्ती हो गई होती तो शायद यह नौबत नहीं आई होती। अतिक्रमण कर बनाए गए होटलों और रेस्टोरेंट को तोड़ने की कार्रवाई मंगलवार सुबह 7 बजे से शुरू हुई। सिलीसेढ़ एरिया में निर्माणाधीन होटल नटनी हेरिटेज की चारदीवारी को तोड़ दिया गया। यहां कुल 14 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं। इनमें दो बड़े होटल शामिल हैं। इसके अलावा अतिक्रमणकारियों ने चारदीवारियां और छोटे-मोटे निर्माण करा रखे हैं। अलवर-जयपुर रोड पर सिलीसेढ़ इलाके में कुछ फार्म हाउस भी हैं, जिन पर कार्रवाई की जानी है।मौके पर मौजूद सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय खत्री ने बताया- जल संसाधन विभाग के नियमों के मुताबित साबी और रूपारेल नदियों के बहाव के 100 मीटर और अन्य नदी-नालों के बहाव के 50 मीटर में अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। अलवर में सिलीसेढ़ झील से जयसमंद झील की ओर बहने वाले नालों के बहाव क्षेत्र के 50 मीटर के अंदर हुए अवैध निर्माण विभाग ने चिह्नित किए थे, उन्हें आज हटा रहे हैं। अभी तक 7 अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं। होटल नटनी हेरिटेज के पीछे की बाउंड्रीवाल तोड़ने की कार्रवाई चल रही है। होटल को तोड़ने के लिए स्पेशल मशीन की जरूरत है। मशीन मिली तो आज ही इसे तोड़ देंगे, वरना कल कार्रवाई होगी। कार्रवाई आधी-अधूरी नहीं होगी। चिह्नित किए गए सभी अतिक्रमण तोड़े जाएंगे।मौके पर मौजूद एसडीएम प्रतीक जुईकर ने कहा- जल संसाधन विभाग ने नोटिस जारी किया था। उसी पर कार्रवाई चल रही है। जल संसाधन ने कैचमेंट एरिया में 50 मीटर का दायरा माना है। मौके पर पुलिसकर्मी मौजूद हैं। एसएचओ अकबरपुर, सीओ ग्रामीण और रेवेन्यू टीम भी है।
मौके पर 6 जेसीबी हैं। होटल नटनी हेरिटेज दिल्ली के उद्यमी का है, जिसने नोटिस के बाद भी निर्माण जारी रखा। अब इसे तोड़ा जा रहा है। होटल के एक ब्लॉक का 80 परसेंट एरिया तोड़ा जाना प्रस्तावित है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सिंचाई व राजस्व विभाग और यूआईटी संयुक्त रूप से कर रहा है।डेढ़ साल से चल रहा था होटल का निर्माण सिलीसेढ़ के बहाव क्षेत्र में नटनी हेरिटेज होटल का निर्माण करीब डेढ़ साल से चल रहा है। यह कई मंजिला होटल बहाव क्षेत्र में बन रहा है। इसे सबसे बड़ा अतिक्रमण माना गया। इसके पास बड़े फॉर्म हाउस की चारदीवारी है।
पास में मेधावन होटल है। यह 4 साल से चल रहा है। इसे पहले नोटिस भी दिए गए। अब पहली बार इसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यहां पहले फॉर्म हाउस बने। इसके बाद इन्हें होटल में तब्दील कर दिए जाने की संभावना थी।
हालांकि इन निर्माण का सीटीएच (सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट) दायरे में आने वाले होटलों से कोई संबंध नहीं है। यह कार्रवाई केवल पक्के अतिक्रमण को लेकर है, जो सिलीसेढ़ झील के 50 मीटर दायरे में आने वाले बहाव क्षेत्र में की जा रही है।अतिक्रमणकारियों को दिए गए नोटिस की समय सीमा 3 अगस्त को पूरी हो गई थी। सोमवार 5 अगस्त को इन पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन यूआईटी की ओर से शिव नगर कॉलोनी व कातला पट्टी मार्केट के लिए पहले ही पुलिस फोर्स मांगने से यह कार्रवाई मंगलवार के लिए टल गई थी।
इससे पहले सिंचाई विभाग ने वर्ष 2023 में 15 और वर्ष 2022 में 11 अतिक्रमण हटाए थे, लेकिन होटलों पर अब पहली कार्रवाई हो रही है। सिलीसेढ़ इलाके में जमीन की बढ़ती कीमतों के बीच लोग अब वहां होटल बना रहे हैं। खातेदारों ने अपनी जमीन पर पक्के निर्माण कर लिए हैं। यह सिंचाई विभाग के नियमों के अनुसार गलत है।
इन अतिक्रमणों को रोकने के लिए हर माह अलवर एसडीएम सिंचाई विभाग के साथ मीटिंग कर रिव्यू करते हैं। वहीं 3 महीने में कलेक्टर खुद सिंचाई विभाग की मीटिंग लेते हैं। इसके बाद भी अतिक्रमण नहीं रुक रहे। अब सीटीएच के दायरे में आने वाले होटलों की कार्रवाई के बीच सिंचाई विभाग ने यह कार्रवाई की है।अतिक्रमण यूआईटी की जमीन पर है। इसलिए वन विभाग ने यूआईटी अधिकारियों को इन्हें हटाने के लिए कहा था। यूआईटी ने इन होटलों को नोटिस जारी किए।
यूआईटी ने मेधावन और नटनी हेरिटेज के अलावा इलाके में संचालित देसी ठाठ, जंगल लैब, नीलकमल, रतन विलास, नमन बाग, सासू की ढाणी, गुप्ता झील, राजस्थानी होटल एंड रेस्टोरेंट, ताज ग्रुप, रासबिहारी और सिलीसेढ़ पैलेस को नोटिस दिए थे।